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मैं अकेला नहीं / मदन डागा

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मैं अकेला कभी न था

और न आज हूँ

क्योंकि मैं तो

सर्वहारा की आवाज़ हूँ

उनका हँसना मेरा हँसना है

उनका रोना मेरा रोना है

दुनिया

जिनके मिट्टी सने हाथों--

बना खिलौना है ।