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मैं अपने ग़म छुपाना जानता हूँ / विक्रम शर्मा
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मैं अपने गम छुपाना जानता हूँ
मुसलसल मुस्कुराना जानता हूँ
किसी कारन से हूँ खामोश वरना
बहुत बातें बनाना जानता हूँ
फ़क़त तुम उसका जाना जानते हो ?
मैं उसका लौट आना जानता हूँ
गला जो काटने आते हैं मेरा
गले उनको लगाना जानता हूँ
यूँ तो इस रब्त में अब कुछ नही है
निभाना है, निभाना जानता हूँ