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मैं इक पहाड़ी तले दबा लूँ किसे ख़बर है / रफ़ीक़ संदेलवी

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मैं इक पहाड़ी तले दबा लूँ किसे ख़बर है
बड़ी अज़िय्यत में मुब्तिला हूँ किसे ख़बर है

किसे ख़बर है कि मेरा हर अक्स गुम हुआ है
मैं एक ख़मदार आईना हूँ किसे ख़बर है

किसी को क्या इल्म है कि मैं किस मदार में हूँ
मैं एक बे-अंत फ़ासला हूँ किसे ख़बर है

अजब शब ओ रोज़ का तसादुम हुआ है मुझ में
मैं इक सितारा हूँ या हवा हूँ किसे ख़बर है

अजीब बे-रंग धुंद मुझ में है ईस्तादा
मैं वस्त-ए-शब में कहीं खड़ा हूँ किसे ख़बर है