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मैं उसके निकट गया आधी रात को
वह सो रही थी
चाँदनी फैली थी खिड़की पर
और कम्बल चमक रहा था रेशम की तरह
कमर के बल लेटी थी वह
उघड़े उरोज उसके
ढुलके हुए थे दोनों तरफ़
और जीवन
शांत खड़ा था
उसके सपनों में
किसी बरतन में रखे जल की तरह
(1898)
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय