भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं उसे खोजता हूँ / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
मैं उसे खोजता हूँ
जो आदमी है
और
अब भी आदमी है
तबाह हो कर भी आदमी है
चरित्र पर खड़ा
देवदार की तरह बड़ा
(रचनाकाल : 31,10.1966)