मैं उसे खोजता हूँ
जो आदमी है
और
अब भी आदमी है
तबाह हो कर भी आदमी है
चरित्र पर खड़ा
देवदार की तरह बड़ा
(रचनाकाल : 31,10.1966)
मैं उसे खोजता हूँ
जो आदमी है
और
अब भी आदमी है
तबाह हो कर भी आदमी है
चरित्र पर खड़ा
देवदार की तरह बड़ा
(रचनाकाल : 31,10.1966)