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मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ / राहुल राजेश

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मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसके कदमों में अपनी हंसी उड़ेल आता हूँ
और आँखों में आँसू भर लाता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसके साथ हर पल जिसके बग़ैर बिताता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसके पास चाँदनी रातों में नहाने जाता हूँ
और अंधेरी रातों में भटकता लौट आता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसके पास सुख का नन्हा-सा तकिया है
मैं उससे चिपटकर दुखों की सेज़ पर सो जाता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जो मुझे बहुत थोड़ी-सी ख़ुशी और
ढेर सारी उदासियाँ परोसती है प्यार की थाली में
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसके पास आँगन है, छत है, दर है और आंचल भी
पर मैं रात भर किसी फुटपाथ पर अपना बदन लिटाता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसके लिए मैं अपनी आँखों में सपने सजाता हूँ
और उसकी आँखों में अपनी नींद भर आता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जो एक ऐसी दरख़्त है जिसकी छाँह में बैठता हूँ
तो धूप में झुलस-झुलस जाता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जो एक नदी है रेत से लबालब
और मैं रोज उसमें नहाता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसकी बहुत बड़ी दुनिया है
जिसमें मैं हर बार गुम जाता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिससे हर सुबह अपना हाथ झटक आता हूँ
और जिसकी चाह में हर शाम घर लौट आता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसे अपनी ज़िंदगी के गहनों से रोज सजाता हूँ
और ख़ुद थोड़ा और उघड़ जाता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसके लिए मैं रोज आसमान बिछाता हूँ
और रोज धरती को वापस कर आता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसकी ख़ातिर अल्लसुबह जाग जाता हूँ
और रात भर सो नहीं पाता हूँ
मैं एक ऐसी औरत से प्यार करता हूँ
जिसके लिए मैं रोज सपनों की नई किताब ख़रीद लाता हूँ
पर जिसके बग़ैर जीने का पाठ भूल जाता हूँ