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मैं काला तो हूँ, आप जितना / तारा सिंह
Kavita Kosh से
मैं काला तो हूँ, आप जितना उतना नहीं
झूठा भी हूँ, आप जितना उतना नहीं
हौसले भी बुलंद हैं मेरे, आसमां को
छू लूँ, आप जितना उतना नहीं
मैं भी आस्तिक हूँ, मगर मूर्ति पूजन में
विश्वास आप जितना उतना नहीं
मौत, मौत है; मौत से डरता मैं भी
मगर डरते आप जितना उतना नहीं
सच है, हस्त जन्नत की बहारों में बंद है
मगर सोचते आप जितना उतना नहीं