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मैं खुद से इतना मज़बूर हो गया / तारा सिंह
Kavita Kosh से
मैं खुद से इतना मज़बूर हो गया
आसमां वहीं रहा, जमीं से दूर हो गया
कोई सलीका नहीं था जीने का, वो तो
तेरा संग मिला, जो मशहूर हो गया
दिल निहायत दर्पण सा नाज़ुक था मेरा
जरा सी ठोकर लगी, और चूर हो गया
दर्दे गम के सिवा और कुछ नहीं मेरे पास
फ़िर किस बात पर मुझको ग़ुरूर हो गया
माना कि मैं ख़तावार हूँ तेरा, मगर तू तो बता
जाता,दिल में रहकर नज़रों से क्यों दूर हो गया