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मैं तथा मैं (अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ) - 1 / नवीन सागर
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(मैं तथा मैं(अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ)-1 / नवीन सागर से पुनर्निर्देशित)
मैं लड़खड़ाता हूँ
रोशन दीवार के सहारे नेपथ्य में जाता हुआ
मेरा मेकअप
मेरे सम्वाद मंच पर कुचले पड़े हैं
कोई नाटक पूरा नहीं
कि उसके बाहर कोई खुली जगह कोई साँस।
चीख़ते-चिल्लाते आईनों से
झरता है पलस्तर
कोई पुकारता है अँधेरों में दूर
कि अरे! लौटो
घिरा हुआ अपनी परछाइयों से
सम्वाद करता हूँ याद ।