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मैं तुम्हें प्यार करता हूँ / नाज़िम हिक़मत / कविता कृष्णापल्लवी
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मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
जैसे रोटी को नमक में डुबोना और खाना
जैसे तेज़ बुखार में रात में उठना
और टोंटी से मुँह लगाकर पानी पीना
जैसे डाकिये से लेकर भारी डिब्बे को खोलना
बिना किसी अनुमान के कि उसमें क्या है
उत्तेजना, खुशी और सन्देह के साथ ।
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
जैसे सागर के ऊपर से एक जहाज़ में पहली बार उड़ना
जैसे मेरे भीतर कोई हरकत होती है
जब इस्ताम्बुल में आहिस्ता-आहिस्ता अन्धेरा उतरता है ।
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
जैसे ख़ुदा को शुक्रिया अदा करना
हमें ज़िन्दगी अता करने के लिए ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : कविता कृष्णापल्लवी