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मैं तेरी परछाई हूँ / सोना श्री

मैं तेरी परछाई हूँ l

मौन बनी मैं मातृ-उदर की दुनिया मेँ ही जीती हूँ,
पापा तुमसे मिलने की मैं सपने रोज संजोती हूँ,
अभी तो नाल जुड़ी है माँ से, अंश रूप धर आई हूँ l
मैं तेरी परछाई हूँ l

अभी तो मैंने जिद भी न की गुड्डा-गुड़िया लाने की,
नहीं लालसा मुझको पापा सोना-चाँदी पाने की,
मैं तो हर सुख-दुःख मेँ तेरा साथ निभाने आई हूँ l
मैं तेरी परछाई हूँ l

कन्यादान का पुण्य हूँ पापा भैया की मैं राखी हूँ,
नर के जीवन को जो तारे मैं वो जीवन साथी हूँ,
मैं तो दो कुल के गौरव को आज बढ़ाने आई हूँ l
मैं तेरी परछाई हूँ l

विनती करती मात-पिता औ बेटी के हत्यारों से,
कोमल-कोमल गात न नोचो शल्य-कर्म औजारों से,
पापा तुम भी त्याग न देना, मैं न कोई पराई हूँ l
मैं तेरी परछाई हूँ l