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मैं दिल हूँ और इस दिल का पता आपकी आँखें / कुँवर बेचैन
Kavita Kosh से
मैं दिल हूँ और इस दिल का पता आपकी आँखें
है अब मेरी मंज़िल का पता आपकी आँखें।
हर शख्स की मुश्किल का पता आपकी आँखें
इस हुस्न की महफ़िल का पता आपकी आँखें।
दर्पण में जिन्हें आप भी खुद देखना चाहें
खुद आपकी मंज़िल का पता आपकी आँखें।
मक़्तल को सभी कहते हैं सबसे बड़ा क़ातिल
मक़्तल के भी क़ातिल का पता आपकी आँखें।
दुनिया के भंवर में है 'कुँअर' नाव-सा जीवन
और नाव के साहिल का पता आपकी आँखें।