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मैं दुखी हूँ सब ये कहते हैं खुशी की बात है / शहरयार
Kavita Kosh से
मैं दुखी हूँ सब ये कहते हैं खुशी की बात है
अब अंधेरे की ज़बां पर रोशनी की बात है
मुद्दतों पहले जुदा हम अपनी मर्जी से हुए
लग रहा है दिल को यूँ जैसे अभी की बात है
हमने जब भी दस्ताने-शैक़ छेड़ी दोस्तो
हर किसी को ये लगा जैसे उसी की बात है
ख़ामुशी ने किसलिए आवाज़ का पीछा किया
अहले दुनिया तुम न समझोगे ये कैसी बात है
शहर में इक शख्स ऐसा है जो सच के साथ है
ध्यान से क्यों सुन रहे हो दिल्लगी की बात है।