मैं दुनिया को देखता हूँ / लैंग्स्टन ह्यूज़ / श्रीविलास सिंह
मैं देखता हूँ दुनिया को
अश्वेत चेहरे पर की जागती हुई आँखों से
और जो कुछ देखता हूँ, वह यह है —
कँटीले तारों से घिरी यह संकरी जगह
जो मुझे दी गई है !
मैं देखता हूँ अपनी स्वयं की देह को
आँखों से, जो अब नहीं हैं अंधी
और मैं देखता हूँ कि मेरे ख़ुद के हाथ बना सकते हैं
वह दुनिया, जो है मेरे मस्तिष्क में
फिर आओ जल्दी करें, कामरेड
तलाशने को है राह ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Langston Hughes
I look at the world
I look at the world
From awakening eyes in a black face—
And this is what I see:
This fenced-off narrow space
Assigned to me.
I look then at the silly walls
Through dark eyes in a dark face—
And this is what I know:
That all these walls oppression builds
Will have to go!
I look at my own body
With eyes no longer blind—
And I see that my own hands can make
The world that's in my mind.
Then let us hurry, comrades,
The road to find.