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मैं ने जब उसे देखा / नंदकिशोर आचार्य

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मैं ने जब उसे देखा
वह एक बुढ़िया की तरह बैठी थी
जाने किन बीती आहटों को
अपने में सुनती।
मैं ने धीमे-से पूछा
आ सकता हूँ दबे-पाँव ?
वह हँस दी
किसी मुग्धा की पहली
स्वप्निल हँसी
और इतनी युवा हो गयी
और सुन्दर
जितनी और कभी नहीं।

(1987)