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मैं भी उस की गैल मरूंगी समझा दिये प्यारे नै / मेहर सिंह
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घबरावण का काम नहीं न्यूं कह दिये बिचारे नै
मैं भी उस की गैल मरूंगी समझा दिये प्यारे नै।टेक
बिना बुझे गल घोटै सै
पता ना मनै किस के संग जोटै सै
ईब टोटे मैं कुण ओटै सै अजीत सिंह कुंवारे नै।
बीस हजार रुपये मांगे बाप मेरे हत्यारै नै।
मैं चौगरदे तै बिंधगी
देख ल्यो सब तरियां तै रंधगी
इस जिन्दगी मैं कद देखूंगी ससुर के द्वारे नै
अपणे हाथां कद पूंजूंगी कुटम्ब कबीले सारे नै।
मैं ना जाऊं प्रीत तोड़ कै
कोन्या लाऊं दाग खोड़ कै
हाथ जोड़कै दिये नमस्ते बहाण मेरी दुखियारे नै।
प्रेम का दिया भेज संदेशा बतलावण के मारे नै।
कह लखमीचन्द दिखा रहया नामर्दी
पिता नै नीव नाश की धर दी
दो धेले की इज्जत कर दी रागनियां के बारे मैं
समझावणियां कोए फेट्या कोन्या मेहर सिंह लजमारे नै।