मैं रात का आख़िरी ज़ज़ीरा  (द्वीप)
घुल रहा हूँ, विलाप करता हूँ 
मैं मारे गए वक़्तों का आख़िरी टुकड़ा हूँ 
ज़ख़्मी हूँ 
अपने वाक्यों के जंगल में 
छिपा कराहता हूँ 
तमाम मर गए पितरों के नाख़ून 
मेरी छाती में घुपें पड़े हैं । 
ज़रा देखो तो सही 
मर चुकों को भी ज़िन्दा रहने की 
कितनी लालसा है ?  
पंजाबी से अनुवाद: चमन लाल