मैं विकल्प हूँ / मालती शर्मा
ख़बर
आज की ताज़ा ख़बर है
कि...
विशेषज्ञों की रिपोर्ट
अंतरात्मा की आवाज़
काल रात्रि में टूटे हर ख़्वाब के आधार पर
सबसे बड़े सर्जन ने
उसकी ज़ख़्मों भरी देह का
फिर से ऑपरेशन का
निर्णय दिया है
फिर से ऑपरेशन...?
वह बत्तीस बरस का बीमार
अब बक हैरान है
क्या होगा उससे?
सिवाय कुछ और ज़ख़्मों के
क्या इस बार कहीं से आएगी
डॉक्टरों की टीम
असली दवाएँ
शुद्ध ताज़ा रक्त
दुरुस्त औज़ार
चुस्त नर्स
ज़ख़्म सीने का धागा???
खुली है क्या कहीं
इसकी फ़ैक्टरी?
तब
अबके भी वही होंगे
ढाक के तीन पात
आश्वासनों के दिन-रात
इस बार वे उसे कुछ
और गहरी लंबी स्वप्नमयी
बेहोशी देंगे
घावों में मीठा ज़हर भर कर
बस, फिर आराम से
मरणासन्न के लिए किए
स्वजनों हितैषियों के
रक्तदान का
जामे-सेहत पीएँगे
महामृत्युंजय यज्ञ के हविष्य से
कुछ और घर रोशन होंगे
कुछ और चूल्हे चलेंगे...
टेबिल पर पड़ी उसकी
लुंज-पुंज-सी काया
सहसा काँप उठती है—
ओह!
फिर से कहीं बंधक हो जाएँगी
मेरी धरती की फ़सलें
नदी-सागर-जल
हिमालय की चोटी
बच्चों की रोटी
ऑपरेशन के ख़र्च में...
नहीं-नहीं-नहीं
छोड़ दो मुझे छोड़ दो
यकायक वह चीख़ उठता है
बहुत हो चुके तुम्हारे
ये ज़ंगीले औज़ार
अब मेरे लिए
मत अपने हाथ जोड़ो
मत झुकाओ सिर
कर सको तो बस मन से
प्रार्थना करो
कि मैं अपेन साठ करोड़ भोले बच्चों का
एकमात्र विकल्प हूँ!