भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं शहर में किस शख़्स को जीने की दुआ दूँ / फ़रहत एहसास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं शहर में किस शख़्स को जीने की दुआ दूँ
जीना भी तो सबके लिए अच्छा नहीं होता

किसकी है ये तस्वीर जो बनती नहीं मुझसे
मैं किसका तकाजा हूँ जो पूरा नहीं होता !