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मैं सपना देखता रहता हूँ / लैंग्स्टन ह्यूज़ / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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सपनों को हाथ में लिए
पीतल का एक फूलदान
बनाता हूँ
और एक गोल फ़व्वारा
जिसके बीच एक सुन्दर सी मूर्ति है ।
टूटे हुए दिल से
एक गीत गाता हूँ
और तुमसे पूछता हूँ :
क्या मेरा सपना तुम्हें समझ में आता है ?
कभी तुम हां कहती हो,
कभी कहती हो — नहीं, समझ में नहीं आता ।
कुछ भी हो,
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ।
मैं सपना देखता रहता हूँ ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य