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मैं ही हूँ / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
अभी-अभी धूप
अभी-अभी बारिश
अभी-अभी बर्फ़
अभी-अभी आग
अभी-अभी चीनी
अभी-अभी नमक
अभी-अभी पानी
अभी-अभी पत्थर
मैं अर्से से साथ हूँ उसके
और क्षमा प्रार्थी
कि उसके इस तरह बदलने में
मैं ही हूँ