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मैं / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
करै
इण संसार नै
अणभूत
‘मैं’
जे छोड द्यूं
ई नै
रह ज्यासी अदीठ
सिस्ठी रो सिव
दिस्टी रो सुन्दर !