भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैया हे बगीचवो लगैलकै हे... / अंगिका

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाग लगैलकै मैया हे, बगीचवोॅ लगैलकै न हे
मैया हे सभे रे कुछु लागै छै रे उदास रे
कोइलिया एक कोइलिया न बिना हे।
रीचि-रीचि भोजनमा मैया हे रमणिया बनैलकै हे
मैया हे रमणियाँ बनैलकै हे।
मैया हे सभे रे कुछु लागै छै रे उदास रे
लवणमा एक लवणमा न बिना हे।
सोलहो शृंगार सें मैया हे रूपवा सजैलकै हे
मैया है रूपवा सजैलकै हे।
मैया हे सभ्भे रे कुछु लागै छै रे उदास रे
सिन्दुरवा एक सिन्दुरवा न बिना हे।
कोठा उठैलकै मैया हे कोठरियो उठैलकै न हे...2
मैया हे सभ्भे रे कुछु लागै छै रे उदास रे
बालका एक बालका न बिना हे।