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मैया हौं न चरैहों गाय।
सिगरे ग्वाल घिरावत मोसों मेरे पां पिरांय॥
जौ न पत्याहि पूछि बलदाहिं अपनी सौंह दिवाय।
यह सुनि मा जसोदा ग्वालनि गारी देति रिसाय॥
मैं पठवति अपने लरिका कों आवै मन बहरा।य
सूर श्याम मेरो अति बारो मारत ताहि रिंगाय॥