भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मोरनी बागा मा बोले आधी रात मा / आनंद बख़्शी
Kavita Kosh से
मोरनी बागा मा बोले आधी रातमा
छननछन चूड़ियां खनक गयी देख साहिबां
चूड़ियां खनक गयी हाथ मा
मैं तो लाज के मारे, हो गयी पानी पानी
सब लोगों ने सुन ली मेरी प्रेम कहानी
मुँहसे बात निकल गयी बात बात मा, बात बात मा
छननछन चूड़ियां खनक गयी देख साहिबां
जाने कौन घड़ी मैं निकले साजन घरसे
मैं घूँघट में जाऊं गयी कितने सावन बरसाए
मेरी प्यास ना बुझी रे बरसात मा, बरसात मा
छननछन चूड़ियां खनक गयी देख सहिबां ...
सुनी सेज पे सैयाँ सारी रात मैं जागी
तेरे पीछे पीछे मेरी नींद तो भागी
मेरा चैन भी गया रे तेरे साथ मा
छननछन चूड़ियां खनक गयी देख साहिबां ...
ओ मेरा नेहरा छूटे रे माएरी छाती फूटे ढोल
ओ ढोला मत जा जा जा
रे ढोला मत जा जा जा ...