भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मोरी सीता कौ चढ़त चढ़ाव / बुन्देली
Kavita Kosh से
बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
रूनुक झुनुक पग धारियों बेटी राजन की
तुम आइ चढ़ाय के चौक।
माथे की बेंदी संभालियों बेटी राजन की।
रूनुक झुनुक पग धारियौ...
गले को हरवा संभारियो बेटी राजन की। तुम आई...
हाथन के कंगना संभारियों बेटी राजन की। तुम आई...
पाँवन की पायलिया संभारियो बेटी राजन की।
तुम आईं चढ़ाय के चौक।