मोर / हरिवंश राय बच्चन / विलियम बटलर येट्स
उसको धन क्या
जिसने अपने नयनों के
मानाभिमान से
एक बड़ा-सा मोर बनाया ।
वात-प्रताड़ित, पत्थर-भूरी
पड़ी-अकेली चट्टानें भी
उसकी इच्छा दुलराएँगी ।
जिए, मरे या
गीली चट्टानों में,
सूने मैदानों में,
उसके प्राण प्रसन्न रहेंगे,
पर पर पर जुड़ते जाएँगे उसके
अपने नयनों के
मानाभिमान से ।
मूल अँग्रेज़ी से हरिवंश राय बच्चन द्वारा अनूदित
लीजिए अब पढ़िए यही कविता मूल अँग्रेज़ी में
William Butler Yeats
The Peacock
What's riches to him
That has made a great peacock
With the pride of his eye?
The wind-beaten, stone-grey,
And desolate Three Rock
Would nourish his whim.
Live he or die
Amid wet rocks and heather,
His ghost will be gay
Adding feather to feather
For the pride of his eye.