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मौत की छलाँग / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
वह मौत नहीं होती
लड़का होता है
सैंकड़ों फ़ीट ऊँची सीढ़ी से
लगाता है छलांग घुप्प अंधेरे में
आग में झुलसता एक पुतला
काँप कर रह जाते हैं दर्शक
एक पल
साफ़ बच निकलता है
मौत नहीं लगाती छलांग
जीवन कूदता है एक अंधेरे कुएँ में
कूदती है एक भूख मुकम्मिल
एक सपना एक साहस
छलांगता है अपना भय
एक शोर शब्द एक
एक आवाज़ गिरती है नीचे लगातार
और
बदल जाती है
एक जवान लड़के में
कोई क़दम नहीं होता
यहाँ मौत की तरफ़
और मौत की एक छलांग
जीवन की तरफ़ लिए चली
जाती है