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मौत मेरे सिर पर खड़ी थी / वाल्टर सेवेज लैण्डोर / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
मौत मेरे सिर पर खड़ी थी, फुसफुसा रही थी धीरे-धीरे ।
मैं उससे अनजान न जानूँ, क्या हो रहा है मेरे कान के तीरे :
उसकी अजीब भाषा सुनकर मैं, नहीं कर पा रहा था तय
क्या कह रही वह कान में मेरे, शब्दों में उसके न था भय ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Walter Savage Landor
Death stands above me, whispering low
I know not what into my ear:
Of his strange language all I know
Is, there is not a word of fear.