मौन प्रीत / गब्रिऐला मिस्त्राल / शुचि सौरभ पाण्डेय
मुझमें वितृष्णा होती तो मैंने
नफ़रत की होती आपसे
बारहा लफ़्ज़ों के जरिए
ज़रूरी तौर पर भी
किन्तु मुझे प्यार है आपसे
और मेरे प्यार ने पाया
कि हर एक वाक्य
गड्ड-मड्ड है और ना-भरोसेमन्द
प्रीत यह तुम
मौन में नहीं सुनना चाहते
किन्तु यह इतने अन्तस से आ रही
जैसे आग का सैलाब
नाकामयाब और लर्ज़िश
गले और छाती तक पहुँचते-पहुँचते
तालाब सरहद तोड़ने तक लबालब है
मैं आपको लगती हूँ बसन्त में पतझड़ जैसी
मेरी मनहूस ख़ामोशी से है यह सब
और बदतर है मेरी मौत से भी !
'अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि सौरभ पाण्डेय
अब अँग्रेज़ी में यही कविता पढ़ें
I Am Not Alone
The night, it is deserted
from the mountains to the sea.
But I, the one who rocks you,
I am not alone!
The sky, it is deserted
for the moon falls to the sea.
But I, the one who holds you,
I am not alone !
The world, it is deserted.
All flesh is sad you see.
But I, the one who hugs you,
I am not alone!