मौसम की पेशगी 
दरवाज़े पर 
दस्तक देकर
भिनसारे 
आ-टपका मौसम
पेशगियों की भेंट लेकर
आसमान की छत पर
घटाओं की खिड़की से 
झांक रही धूप-रमणी 
लहराती चंदहली चुनरी ओढ़े
बात जोहती रही--
नाचती-इतराती
मृदंग बजाती 
बूँद-छैलियों की.
 मौसम की पेशगी 
दरवाज़े पर 
दस्तक देकर
भिनसारे 
आ-टपका मौसम
पेशगियों की भेंट लेकर
आसमान की छत पर
घटाओं की खिड़की से 
झांक रही धूप-रमणी 
लहराती चंदहली चुनरी ओढ़े
बात जोहती रही--
नाचती-इतराती
मृदंग बजाती 
बूँद-छैलियों की.