भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मौसम / सुरेन्द्र स्निग्ध

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आपने अभी क्यों पूछा मौसम का हालचाल !
क्या ख़ुशबू है फिजाँ में
चारों ओर फूल ही फूल —
लगता है उसी ने उड़ेल दी है ख़ुशबू आपकी पीठ पर
बड़े शोख हैं फूल !

(कैसे कहूँ, हुज़ूर, आपके अपने शरीर के अँग-विशेष ने गन्दी हवा
छोड़ी है !)