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म्हारो सांवरियो / इरशाद अज़ीज़
Kavita Kosh से
आभो
आज घणो खुस है
बादळां री फौज नैं भेज
मरुधरा री तिरस नैं
बुझावण खातर
हुकम दीन्हो
आज धरा रा
सुपना पूरा हुवैला
नाचैला मोर
गावैला पपैया
कोयल री कहूक
उठावैली हिवड़ै मांय हबीड़ा
कांई ठा
किणरी अरज सुणी
म्हारो सांवरियो!