भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यदि बचपन में बाँधी प्रेम की डोर / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


यदि बचपन में बाँधी प्रेम की डोर
बच्चे बड़े होकर
अपने कठोर व्यवहार की कैंची से नहीं काट देते
तो अपने ज्ञान और वैराग्य की पूँजी भी
लोग उन्हींको बाँट देते.