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यदि यह सृष्टि ..... / नंदकिशोर आचार्य

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यदि यह सृष्टि
तुम्हारी ही कल्पना है
तो अब मैं नहीं मरूँगा
जब तक तुम नहीं मरते।

और तुम
जो बार-बार मुझ में
जनमते हो कि मर सको
अमर होने को विवश हो।

इसलिए ऊबो नहीं
प्यार करो
और मुझे सँवारो
जैसे मैं अपने प्यार को
सँवारता हूँ
जिस में मैं हर बार
मरता हूँ कि जी सकूँ
(1981)