यमपुरी बसी है / विष्णुचन्द्र शर्मा
ग्यारह साल बाद संसद में बोला कुत्ता : जात नई है राजनीति की
ग्यारह साल बाद संसद में बोला सूअर : चरण जमे हैं राजनीति में
ग्यारह साल बाद संसद में बोला गीदड़ : जीते चर हैं राजनीति में
ग्यारह साल कसाई के थे उलट-पलट की राजनीति में-
बोला राजनीति का भोंपू
एक साल से रोज़ एक को संसद तक लाता है कुत्ता !
एक साल से रोज़ एक को संसद में खाता है गीदड़
एक साल से रोज़ एक की खाल खींचता है धमधूसर ।
धमधूसर कल मिला राह पर
मैंने पूछा : यम के घर से लौट रहे हो ?
धमधूसर ने कहा : यार ! मानव की बस्ती से
यम की बस्ती का फ़ासला कहाँ है ?
मानव बस्ती में चमरू है सूली पर
नीचे मस्तक के आग लगी है ।
चमरू का यमलोक यहीं है
दाँत पीसकर हाथ मल रहा था धमधूसर
मैंने पूछा : यम के क्या दो सिर होते हैं ?
धमधूसर ने कहा : पहले सिर से तीस साल तक यम गाता था :
सूअर, कुत्ता, गीदड़ खल हैं
मैंने पूछा : यम के दोनों सिर संसद में क्या करते हैं ?
धमधूसर ने कहा : सूअर यम की सभा बुलाता !
कुत्ता यम की गाथा गाता !
गीदड़ संविधान ले आता !
यम के दोनों सिर : कुत्ते, सूअर, गीदड़ की यमपुरी बसाते ।
मैंने पूछा : चमरू ने मानव बस्ती में कुआँ खोदा ।
बेटी ने रोटियाँ पकाईं ।
यम ने कैसे चमरू का सिर काटा ?
धमधूसर ने कहा : संसद में आया कुत्ता
चमरू की हड्डी का गाहक है !
गीदड़ चमरू की बेटी का माँस नोचता
सूअर चमरू के जबड़े में दरकर बैठी
जीभ खींचता !
मेरे दोनों हाथ उठे हैं संसद के बाहर सेना है
चमरू की बेटी के हाथ एक पोस्टर है !
कौन बड़ा है तीस साल के लूटतंत्र में... मैंने पूछा !
चमरू की बेटी ने टॊका : एक साल से चमरू सूली पर है
नीचे आग लगी है तीस साल से लूटतंत्र की
दोनों हाथ उठे हैं : ऊँचे
हाथ उठे हैं गोली खा यमपुरी फटी है
छोटे पोस्टर ! पोस्टर ! पोस्टर !
चमरू का यमलोक खड़ा है सीना खोले ।