भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यमुना स्तुति/ तुलसीदास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

यमुना स्तुति

,
ज्मुना ज्यों ज्यों लागी बाढ़न।

त्यों त्यों सुकृत-सुभट कलि भूपहिं,
 निदरि लगे बहु काढ़न।1।

ज्यों ज्यों जल मलीन त्यों त्यों
जमगन मुख मलीन लहै आढ़ न

तुलसिदास जगदघ जवास
ज्यों अनघमेघ लगे डाढ़न।2।