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यहाँ भी औरतें / केदारनाथ अग्रवाल

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औरतें
आदमी के
आदिम पुंसत्व को
समर्पित
बंदिनी गृह-लक्ष्मियाँ हैं;
देखने में देवियाँ
सौंदर्य की
मूर्तियाँ हैं;
वास्तव में
दैहिक अनुभूतियाँ हैं

रचनाकाल: १३-०६-१९७६, मद्रास