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यहाँ से / केशव
Kavita Kosh से
यहाँ से
सब-कुछ
साफ-साफ
दिखाई देता है
यहाँ से
सब कुछ
साफ-साफ
सुनाई देता है
उनके चेहरे
उनकी गालियाँ
उनकी आँखें
खिड़की पर हैं
और मेरी
उनके हाथों पर