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यही शिकायत है /रमा द्विवेदी

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ज़िन्दगी बस तुझसे यही शिकायत है,
न मिल सका हमसफ़र कोई,
ज़िन्दगी बस तुझसे यही शिकायत है।
ज़िन्दगी की दौड़ में,
इक पल भी नहीं ठहरता,
खुद के लिए चुरा सकूं,
इक पल भी नहीं वो मिलता,
न बन सका दिलवर कोई...
ज़िन्दगी बस तुझसे यही शिकायत है।
सांसें विषैली हो गईं,
हर सांस विष उगलती है,
रिश्तों की डोर क्षण-क्षण,
हिम की तरह पिघलती है,
बन न सका हमदम कोई...
ज़िन्दगी बस तुझसे यही शिकायत है।
चाही नहीं थी दौलत,
चाहे न हीरे -मोती,
इक यार की तमन्ना,
ख्वाहिश यही थी दिल की,
न मिल सका वस्ल-ए-यार कोई...
ज़िन्दगी बस तुझसे यही शिकायत है।
दोस्ती के बीच भी आज,
न जाने कितने सवाल हैं,
इक सवाल हल होता नहीं
फिर सैकडों सवाल हैं,
बन न सका हमराज़ कोई...
ज़िन्दगी बस तुझसे यही शिकायत है।