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यह आकार है -4 / मंगेश नारायणराव काले

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मतलब घर तो
पीछे ही छोड़ आए होते हैं हम
और साथ होती है सिर्फ़
तलाश एक नए घर की

घर छोटा होता है या बड़ा
छप्परों का टीन का खपरैलों का बीमों का कंक्रीट का
घर के पैर जनम के समय ही कर दिए जाते हैं क़लम
इसलिए वह रहता है वहीं

कितने घर मिले पैरों को
पैरों को लगी कितनी घरघर
और घर को हमेशा दोनों हाथ जोड़कर भी
हमें मिला ही कहाँ है अपने घर का आकार

घर छोड़ते समय भी रोए कहाँ थे हम फूट-फूटकर?
और प्रथम प्रस्थान में भी कहाँ था फँसा पैर घर में?
पैर पुरज़ोर रेंगे होंगे ज़्यादा से ज़्यादा दो-चार साल
पर जाने की जल्दी में रहे हाथ

दो हाथों को या दो पैरों को
चाहिए ही होता है एक घर सच कहें तो
जो छूट जाता है बार-बार हाथ से
और आता ही नहीं है हमारे हाथ मरते दम तक

मूल मराठी से अनुवाद : सरबजीत गर्चा