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यह काल कराल अहै कलि को / भारतेंदु हरिश्चंद्र
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यह काल कराल अहै कलि को
'हरिचंद' कों नेक सोहातो नहीं ।
धन धाम अराम हराम करौ
अपनो तो कोऊ दरसातो नहीं ।
चित चाहत है चित चाह करै पर
वाको निबाह लखातो नहीं ।
दिल चाहत है दिल देइबे को
दिलदार तो कोऊ दिखातो नहीं ।