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यह कैसा आया बादल / रामकुमार वर्मा

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यह कैसा आया बादल!
लघु उर में गूँजा करती है
एक वेदना बहुत विकल॥
नभ के इस विशाल जीवन में
आँसू का छोटा-सा छल।
चंचल होने पर भी उसकी
भाग्य-रेख इतनी उज्ज्वल!!
मेरा भी इतना लघु उर है
किन्तु वेदना है अविचल।
क्या उसमें अन्तर्हित है
करुणा की बूँदों का कुछ जल?