यह कैसा वक़्त है / एड्रिएन सिसिल रिच / असद ज़ैदी
वह एक जगह है दरख़्तों के दो झुरमुटों के बीच जहाँ घास ढाल से ऊपर जाती है
और पुरानी इन्क़िलाबी सड़क सायों में ग़ुम हो जाती है
ठीक जहाँ वह घर था, सताए हुए लोगों के मिलने की जगह
जिसे अब वे छोड़कर उन्हीं सायों में ग़ायब हो गए हैं ।
मैं वहाँ घूमी हूँ आतंक के कगार पर मशरूम बीनती हुई, पर किसी ग़लतफ़हमी में न रहना
यह कोई रूसी कविता नहीं है, यह और कहीं नहीं यहीं है,
हमारा मुल्क सरककर पहुँचता हुआ अपने सच अपने आतंक के क़रीब,
लोगों को अपनी तरह से लापता करता हुआ ।
मैं तुम्हें नहीं बताऊँगी वह जगह कहाँ है, दरख़्तों का घना जाल
जहाँ एक नामहीन रौशन पट्टी से मिलता है −
प्रेत-ग्रस्त चौराहे, सूखी पत्तियों से भरा स्वर्ग :
मुझे पता है कौन इसे ख़रीदना, बेचना और ग़ायब कर देना चाहता है ।
और मैं तुम्हें नहीं बताऊँगी वह जगह कहाँ है, तो फिर मैं तुम्हें क्यों बता रही हूँ
कुछ भी ? क्योंकि तुम अब भी सुनते हो, क्योंकि ऐसे वक़्तों में
तुम्हें कुछ भी सुना पाने के लिए, पेड़ों के बारे में
बात करना ज़रूरी है ।
(1991)
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी
[जानकार पाठक ग़ौर करेंगे कि कविता में ब्रेष्त और ओसिप मन्दिलश्ताम महत्वपूर्ण ढंग से संदर्भित हैं । — अनुवादक]
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Adrienne Rich
What Kind of Times Are These
There's a place between two stands of trees where the grass grows uphill
and the old revolutionary road breaks off into shadows
near a meeting-house abandoned by the persecuted
who disappeared into those shadows.
I've walked there picking mushrooms at the edge of dread, but don't be fooled
this isn't a Russian poem, this is not somewhere else but here,
our country moving closer to its own truth and dread,
its own ways of making people disappear.
I won't tell you where the place is, the dark mesh of the woods
meeting the unmarked strip of light—
ghost-ridden crossroads, leafmold paradise:
I know already who wants to buy it, sell it, make it disappear.
And I won't tell you where it is, so why do I tell you
anything? Because you still listen, because in times like these
to have you listen at all, it's necessary
to talk about trees.