यह कैसा समय है जो मजबूर करता है कहने को / मेटिन जेन्गिज़ / मणि मोहन
किसी घोंघे की तरह
जो सूखी पत्तियों पर निशान छोड़ता जाता है
वक़्त गुज़रता है मुझसे होकर
जो मिलना था मुझे मिल चुका इस दुनिया से —
दुख जो आए कीचड़, तारकोल और लहरों के साथ,
प्रेम के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी
किसका बेटा हूँ मैं —
अन्धकार ने ढँक रखा है मुझे रेतीली आन्धी की तरह
और सूरज बर्फ़ का रेगिस्तान है
शब्दों की छत चटक चुकी है
मेरे सामने खड़े पहाड़ ढह रहे हैं
मेरे भीतर जो हवा है वो चीख़ रही है ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणि मोहन
लीजिए, अब यही कविता मूल तुर्की भाषा में पढ़िए
Metin Cengiz
Zamanın söylettiği
Sümüklüböcek gibiİz
bırakarak kuru yapraklar üstünde
Geçiyor zaman içimden
Payımı aldım bu dünyadanÇamur,
zift ve dalgalarla gelen tasa
Bu dünyada yer bırakmıyor aşka
Neyin oğluyum ben-
Karanlık kum gibi kaynıyor etrafımda
Ve güneş ve buzdan bir çöl
Sözcüklerin çatısı çatırdıyor-
Yıkılıyor güvendiğim dağlar
Sanki kuşkudan yapılmış bir oyuğum
Uğulduyor içimdeki rüzgâr