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यह तुम्हारा हास आया / रामकुमार वर्मा
Kavita Kosh से
यह तुम्हारा हास आया।
इन फटे-से बादलों में कौन-सा मधुमास आया?
यह तुम्हारा हास आया।
आँख से नीरव व्यथा के
दो बड़े आँसू बहे हैं,
सिसकियों में वेदना के
व्यूह ये कैसे रहे हैं!
एक उज्ज्वल तीर-सा रवि-रश्मि का उल्लास आया॥
यह तुम्हारा हास आया।
आह, वह कोकिल न जाने
क्यों हृदय को चीर रोई,
एक प्रतिध्वनि-सी हृदय में
क्षीण हो हो हाय, सोई।
किन्तु इससे आज मैं कितने तुम्हारे पास आया!
यह तुम्हारा हास आया।