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यह न समझो / महेन्द्र भटनागर
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यह न समझो कूल मुझको मिल गया
आज भी जीवन-सरित मझधार में हूँ !
- प्यार मुझको धार से
- धार के हर वार से,
- प्यार है बजते हुए
- हर लहर के तार से,
यह न समझो घर सुरक्षित मिल गया
आज भी उघरे हुए संसार में हूँ !
- प्यार भूले गान से,
- प्यार हत अरमान से,
- ज़िन्दगी में हर क़दम
- हर नये तूफ़ान से,
यह न समझो इंद्र-उपवन मिल गया
आज भी वीरान में, पतझार में हूँ !
- खोजता हूँ नव-किरन
- रुपहला जगमग गगन,
- चाहता हूँ देखना
- एक प्यारा-सा सपन,
यह न समझो चांद मुझको मिल गया
आज भी चारों तरफ़ अँधियार में हूँ !