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यादें -2 / स्वदेश भारती
Kavita Kosh से
यादें फूल की पँखुड़ियों से भी अधिक कोमल
हृदय में फूलतीं, सुगन्ध बिखरेतीं
और समय के अन्धेरे में दम तोड़ देतीं
बस, अवशिष्ट धूल बन रह जातीं
जीवन पर्यन्त मस्तिष्क के आर-पार
चक्कर लगातीं
आह ! पीड़ा पहुँचातीं ।
”’लीजिए, अब पढ़िए, इस कविता का अँग्रेज़ी अनुवाद”’
Swadesh Bharati
Memories
Memories, far more tender than flower petals
Blossoming in the heart spreading fragrances
And in the dark of time withering away,
Turning into dust
roaming across the mind for the whole life
Oh! what a disgust.