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याद आए तो आँख भर आए / कमलेश भट्ट 'कमल'

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याद आए तो आँख भर आए

किन ज़मानों से हम गुज़र आए।


पाँव में दम ज़रा रहे बाकी

क्या पता कैसा कल सफर आए।


उसने चढ़ ली है ऐसी ऊँचाई

गैर मुमकिन है वो उतर आए।


सबके चेहरे पे कुछ खुशी आये

आए कैसे भी वो, मगर आए।


हमने पहले न कम सुनी खब़रें

जो भी आनी हो अब खब़र आए।


आसमां भी उदास रहता है

सोचता है ज़मीन पर आए।