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याद आवै / निशान्त
Kavita Kosh से
श्रीगंगानगर कानी
सड़कां माथै
सफर करतां
याद आवै
रावळै कानी री
टूटी-फूटी सड़कां
घर में
सुख स्यूं रैंवतां नै
याद आवै
मदान मांय
पड़ाव घाले पड़्या
लोग
सुख-संतोस
बापरता पाण
याद आवै
दुखी भाई-बेली ।